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Sunday, April 28, 2013

अपने आस-पास की भयानक - गंभीर समस्याओं से परेशान हो ?
चिंता मत करो ...
क्योंकि वे सब आप के या आप के अपनों के
छोटी समस्याओं व कमियों पे ध्यान ना देने का नतीजा है !!!
और
क्रोध, अंधविश्वास, लत, ईर्ष्या/द्वेष, नफरत, सनक जैसी छोटी लगनेवाली चीज़े ही आगे चलकर
क्रूरता , अत्याचार, ज़ुल्म, भ्रष्टाचार, हिंसा, उन्माद, आक्रामकता आदि में तब्दील हो जाते है ... !
हम हिन्दुस्तानी कितने पागल है।।।
हम ये भूल जाते है, की ....
एक्टर्स एक्टिंग करते हैं ... !
राजनेता राजनीति करते हैं ... !
नफरत-वादी भड़काते हैं ... !
....
और फिर भी हम लोग उनकी बातों में आ जाते है !
:)

Ham Angrezon ke Gulaam Hain ?


हम कैसे भारी गुलाम हो गए है अंग्रेजो के !!....

हम बर्थडे मनाते है, उनमे जाते है
...
ये ऐसा इसीलिए ... क्यूकी हम अंग्रेजो के गुलाम हो गए है..
अब ये तो हुआ मामला बर्थडे का! (Not a big Deal)
..
यानी हम अंग्रेजियत के इतने गुलाम हो गए है, के उस तरीके को छोड़ भी नहीं सकते !!!
ज़रा सोचो, की अगर मामला इबादत का हो,
....
...
तो फिर हमरी आदत की गुलामी के मुताबिक हम काफिर / नास्तिक हो जायेंगे !!!

Think on it ....

इस दुनिया में कई बुराइयां ... कई समस्याए है ... कई तकलीफें हैं ....
और ये सभी इंसानों द्वारा ही बनायी हुई है .....

अतः हमारा काम  यहीं होना चाहिए की इन सभियों को
ज्यादा से ज्यादा ख़त्म करने की कोशिश की जाए !!!

और हाँ  !!
अगर आप के साथ सब कुछ ठीक हैं ...
तो इसका अर्थ कतई नहीं  है, की सब कुछ ठीक हैं  !!!
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इसे पागलपन, बेवकूफी, बचकानापन ही कहा जायेगा, की लोग अपने
बाहरी/एक्स्ट्रा/सेकंडरी /द्वितीय अधिकारों को प्रति बेहद सजग हो, परन्तु
अपने अधिक आवश्यक/प्राथमिक/ज़रूरी अधिकारों के प्रति (बिलकुल भी) नहीं !!!
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इस दुनिया में अच्छे काम हर लेवल (Level) पर ढेर सारे हो रहे हैं ...
मगर हाँ .. अगर पूर्ण सफलता हासिल नहीं हो रही हो, तो समझ , लीजियेगा कि ,
दिल से  कोशिश (इंसानी पहल) की ; और फिर इंसानी त्याग की  कमी पड़ रही हैं !!!
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इस दुनिया में कोई भी परिपक्व नहीं है !!
सच तो ये है, की पढ़े लिखे लोगो को भी
अनपढ़ या कम पढ़े लिखो से काफी कुछ
सीखने को होता है .... ...
आखिरकार, अहम् बात ये ही है, कि जिसके पास
जितना ज्ञान है,वो उतना ज्ञान या गुण ; ...
दूसरो को प्रदान करें !!!
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इंसान  सर्वश्रेष्ठ प्राणी (अशरफुल मख्लुकात) है !
..........
इंसान इसलिए है, ...
ताकि उसकी काबिलियतों का फायदा उठाया जाए
देश, दुनिया, समाज, इन्सानियत और सिस्टम, आदि की भलाई के लिए...
 .........
इंसान इसलिए नहीं है, ... 
ताकि उसके दबाया, पिच्काया , कुचला जाए
और उसका भुरता  बनाया जाए ...

Comedy or Strange (Grief) .... Think .... Feel ...

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 जब इंसान अपने दिमाग का इस्तेमाल  (लाइफ को बेहतर बनाने के अन्यत्र) , दुसरे कही और जगहों पर करता हैं ...
या फिर जब इंसान जीवन की गहराइयों को साइंस के दृष्टिकोण से समझने-बुनने में लग जाता हैं ...  ;
तो फिर उसे समझ में आता है, की जीवन की जतिल्ताओ को कंट्रोल करना तो दूर, उन्हें समझना भी नामुमकिन हैं !!!


और तब याद आता हैं ... की .... 

  " वो जो हमारा एक मालिक हैं ... उसी के बताये रास्ते ही परफेक्ट थे ; जिन्हें हमने भुला दिया , और जिन्हें हम हमेशा ही नज़र अंदाज़ कर देते हैं  !!!! "

गुण

हर क्षेत्र का अपना एक गुण होता है ...

कला -  सजाना, सवारना, अतिशयोक्ति
वाणिज्य - हिसाब,किताब,बचत, मैनेजमेंट 
विज्ञान - शोध कार्य

परन्तु इन सब का प्रयोग  इंसान अलग अलग हितो को साधने के लिए करता हैं ...

अगर वे हित खुद /शैतान के हो ; तो ये भयावह हैं ... !
लेकिन अगर वे हित दूसरों के लिए हो, तो तरक्की हैं !!!!!