इस दुनिया में कई बुराइयां ... कई समस्याए है ... कई तकलीफें हैं ....
और ये सभी इंसानों द्वारा ही बनायी हुई है .....
अतः हमारा काम यहीं होना चाहिए की इन सभियों को
ज्यादा से ज्यादा ख़त्म करने की कोशिश की जाए !!!
और हाँ !!
अगर आप के साथ सब कुछ ठीक हैं ...
तो इसका अर्थ कतई नहीं है, की सब कुछ ठीक हैं !!!
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इसे पागलपन, बेवकूफी, बचकानापन ही कहा जायेगा, की लोग अपने
बाहरी/एक्स्ट्रा/सेकंडरी /द्वितीय अधिकारों को प्रति बेहद सजग हो, परन्तु
अपने अधिक आवश्यक/प्राथमिक/ज़रूरी अधिकारों के प्रति (बिलकुल भी) नहीं !!!
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इस दुनिया में अच्छे काम हर लेवल (Level) पर ढेर सारे हो रहे हैं ...
मगर हाँ .. अगर पूर्ण सफलता हासिल नहीं हो रही हो, तो समझ , लीजियेगा कि ,
दिल से कोशिश (इंसानी पहल) की ; और फिर इंसानी त्याग की कमी पड़ रही हैं !!!
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इस दुनिया में कोई भी परिपक्व नहीं है !!
सच तो ये है, की पढ़े लिखे लोगो को भी
अनपढ़ या कम पढ़े लिखो से काफी कुछ
सीखने को होता है .... ...
आखिरकार, अहम् बात ये ही है, कि जिसके पास
जितना ज्ञान है,वो उतना ज्ञान या गुण ; ...
दूसरो को प्रदान करें !!!
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इंसान सर्वश्रेष्ठ प्राणी (अशरफुल मख्लुकात) है !
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इंसान इसलिए है, ...
ताकि उसकी काबिलियतों का फायदा उठाया जाए
देश, दुनिया, समाज, इन्सानियत और सिस्टम, आदि की भलाई के लिए...
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इंसान इसलिए नहीं है, ...
ताकि उसके दबाया, पिच्काया , कुचला जाए
और उसका भुरता बनाया जाए ...
Comedy or Strange (Grief) .... Think .... Feel ...
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