दरअसल सत्य तो ये हैं ...
की अक्सर जब इंसान अपने दायरे से अधिक जान नहीं पाते,
तो वे दुसरे ज्ञानियों के ज्ञान व मार्गदर्शन का सहारा लेते हैं !
ऐसे में अगर उनसे थोड़ा अधिक बुद्धिमान/ज्ञानी व्यक्ति उन्हें अक्सर
असत्य (गलत ) या अल्प-सत्य(अधूरा) या ज्ञान भी दे सकता है ।
की अक्सर जब इंसान अपने दायरे से अधिक जान नहीं पाते,
तो वे दुसरे ज्ञानियों के ज्ञान व मार्गदर्शन का सहारा लेते हैं !
ऐसे में अगर उनसे थोड़ा अधिक बुद्धिमान/ज्ञानी व्यक्ति उन्हें अक्सर
असत्य (गलत ) या अल्प-सत्य(अधूरा) या ज्ञान भी दे सकता है ।
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