जब इंसान अपने दिमाग का इस्तेमाल (लाइफ को बेहतर बनाने के अन्यत्र) , दुसरे कही और जगहों पर करता हैं ...
या फिर जब इंसान जीवन की गहराइयों को साइंस के दृष्टिकोण से समझने-बुनने में लग जाता हैं ... ;
तो फिर उसे समझ में आता है, की जीवन की जतिल्ताओ को कंट्रोल करना तो दूर, उन्हें समझना भी नामुमकिन हैं !!!
और तब याद आता हैं ... की ....
" वो जो हमारा एक मालिक हैं ... उसी के बताये रास्ते ही परफेक्ट थे ; जिन्हें हमने भुला दिया , और जिन्हें हम हमेशा ही नज़र अंदाज़ कर देते हैं !!!! "
या फिर जब इंसान जीवन की गहराइयों को साइंस के दृष्टिकोण से समझने-बुनने में लग जाता हैं ... ;
तो फिर उसे समझ में आता है, की जीवन की जतिल्ताओ को कंट्रोल करना तो दूर, उन्हें समझना भी नामुमकिन हैं !!!
और तब याद आता हैं ... की ....
" वो जो हमारा एक मालिक हैं ... उसी के बताये रास्ते ही परफेक्ट थे ; जिन्हें हमने भुला दिया , और जिन्हें हम हमेशा ही नज़र अंदाज़ कर देते हैं !!!! "
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